प्रौढ़ शिक्षा और खासकर महिलाओं की साक्षरता और शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं अध्ययन के लिए सहजनी शिक्षा केंद्र ने आधार प्रदान किया है. इसे हम जमीनी स्तर की प्रयोगशाला कह सकते हैं. इससे साक्षरता और शिक्षा की प्रक्रियाओं और सशक्तीकरण के जुड़ाव की ठोस समझ बनी. वह अलग अलग तरीके से सामने आई. कभी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में लेख छपे, कभी सहजनी शिक्षा केंद्र की महिलाओं की केस स्टडी छपी, कभी वहाँ की महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की खोज-खबर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने ली तो कभी मंचों पर सीखने-सिखाने वाली महिलाओं की यौनिकता के मुद्दे पर बहस हुई. ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों के अधिकारों की माँग की गूँज दूर-दूर तक गई.