ग्यासी
मेरा नाम ग्यासी है. खटोरा गाँव की रहनेवाली हूँ. 2002 में पहली बार सहजनी शिक्षा केंद्र में ब्लॉक स्तरीय कैंप में पढ़ने आई थी. उस समय हमें कुछ भी पढ़ना-लिखना नहीं आता था. सिर्फ अपना नाम सही लिख पाती थी. इसके बाद हम 30 दिन ब्लॉक स्तरीय कैंप मे पढ़ने के लिए आए. इस कैंप में हमने बहुत मन लगाकर पढ़ना-लिखना सीखा. हम आगे सीखने के लिए हर समय तैयार रहते थे
पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग तरह की जानकारी भी मिल रही थी. जैसे महिला हिंसा, महिलाओं के अधिकार क्या-क्या हैं. इन सभी के बारे में सोचती रहती थी कि कैसे करें, क्या करें. क्योंकि जो अन्य महिलाओं के साथ हिंसा होती थी वही हिंसा हमारे साथ भी होती थी.
इसके बाद मुझे सहजनी शिक्षा केंद्र में टीचर का काम मिला जिससे मुझे सीखने व सिखाने का मौका मिला. साथ में मुझे जानकारी के साथ घर-परिवार में बोलने का मौका मिल रहा था. तो धीरे-धीरे हम अपने अधिकारों के बारे में बोल पाए. सहजनी शिक्षा केंद्र में भी अलग-अलग पद पर आने का मौका मिला. जिससे सामाजिक मुद्दों को जैसे चप्पल पहनकर गाँव में जाना, दलित जाति के लोगों के साथ बैठकर समाज में खाना खाना और दलित जाति के लोगों को सम्मान देना. आज हम अन्य औरतों को हिम्मत देते हैं और खुद अपने में हिम्मत आई.
हमको महिला साक्षरता का उद्देश्य समझ में आया. वंचित समुदाय की महिलाओं और किशोरियों को हमेशा साक्षरता से दूर रखा गया. उन महिलाओं किशोरियों के साथ पढ़ाई-लिखाई करके उनकी साक्षरता मज़बूत करना और अलग-अलग जानकारियों के माध्यम से सशक्तीकरण करना ज़रूरी है. इससे महिला आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कह सकेगी और अपने अधिकारों को समझते हुए सवाल-जवाब करेगी. मैं अभी बिरधा ब्लाक की समन्वयक हूँ. पूरे ब्लाक का काम सँभालती हूँ. साक्षरता केंद्र और सुपरवाइजर को सहयोग करती हूँ
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